Aadhya singh

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मिश्रा परिवार का परिचय

त्रषिकेश
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जहाँ कि हवाओ मे भी असीम शांति  ,, वही गंगा कि लहरो का घाट के किनारो से जो पवित्र रिश्ता वो असीम ही  । । हाथ थामे मानो चलती लहरो के जैसा कदम से कदम मिलाता पावन रिश्ता ही तो होता जीवसाथी का जो विवाह के बंधन मे बंध रूह को एक कर जाता है  । ।


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मिश्रा भवन
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कोई पत्थर और कोई फर्नीचिंग से नही आम इट पत्थर से बना साधा सा घर बाहर एक गेट और उसके बगल मे लिखा मिश्रा भवन और उस गेट को पार कर सहन जहाँ पर चारो ओर अलग अलग तरह के पेड पौधे लगे हुए थे और बीचो बीच बना था तुलसी का पौधा जिसके चारो ओर इटे लगी हुई थी,  आँगन को पार कर एक ओर दरवाजा था जहाँ पर मिश्रा भवन के लोग रहते थे  । ।
तभी दरवाजे मे हलचल होती है मतलब कोई आ रहा था इतने भौर के समय आईए देखते है कौन है  ? ? 


भौर का वक्त था  , सूर्य देवता अपनी झलक देने के लिए 
बस प्रकट होने ही वाले थे तभी घर का दरवाजा खुलता है एक हाथ मे पूजा की थाल और दूसरे मे जल का लौटा थामे पीले रंग की साडी मे लिपटी हुई एक मध्य वर्ग की स्त्री बाहर आती है , उसके बालो से टपकता पानी ये बता रहा था कि वो अभी स्नान कर के आई है  । " ऊँ नमः शिवाय  .." " ऊ नमः शिवाय का जाप करते हुए वो अपने नंगे कदमो समेत , उस तुलसी के पौधे की ओर बढा देती है  । । थाली को साइड मे रख वो लौटे को थाम पौधे मे जल देते हुए लगातार नमः शिवाय का जाप कर रही थी  । ।

तभी वो जल देने के बाद,  थाली मे रखे घी के दिये को उठा उसे जलाते हुए तुलसी आरती गाना शुरू करती है  । जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।
मैय्या जय तुलसी माता।।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।
मैय्या जय तुलसी माता।।

बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।।

आरती खत्म कर वो थाली मे रखा सिंदूर को तुलसी माइया को लगा वो बाकि का अपने माथे और माँग मे भी सिंदूर भर लेती है  । । तभी गेट पर खट खट होती है,  " आ रही हूँ इतना कह वो दरवाजा खोलती है तो सामने हमेशा कि तरह बिनोरी भइया थे  " 
" प्रणाम भइया  . . " वो सामने लाॅअर और शर्ट मे खडे 
मध्य वर्गी बिनोरी जी से कहती है  । ।

" प्रणाम भाभी जी  वो मिश्रा जी किदधर है  ,, " वो सामने खडी सुमित्रा जी से बोले  । । 

" वही सो रहे है अभी तक . . आप आइए हम बुलाते है  "
वो उन्हे आने कि जगह दे खुद अपने कदम तुलसी के पौधे के करीब बढा देते है  । । थाली और लौटा उठा वो अंदर कि ओर कदम बढा लेती है  । । बिनोरी जी भी उनके पीछे अंदर आ जाते है  जाली का दरवाजा खोल सामने रखे 
पीडे वाले सोफो के सेट और बीच मे रखा लकडी का मेज जिस पर सुंदर कारिगरी थी  । ।

बिनोरी जी सोफे पर बैठते हुए रसोइ घर कि ओर जाती सुमित्रा जी से बोले  " भाभी इतने साल हो गए  लेकिन 
अभी तक मिश्रा जी कि आदत नही बदली,  कल रात भी कहकर गया था कि कल सुबह मै तुझे बुलाने आऊँगा लेकिन हमेशा कि तरह परिणाम वही है  " उनकी बात पर चूले पर चाय चढाते सुमित्रा जी के लब भी मुस्का उठते है 
। " आप तो जानते ही है भइया इतने साल तो मुझे हो गए है उनके साथ आज तक मैने तो उन्हे इतनी सुबह नही देखा केवल जब दफ्तर का काम हो तभी उनकी नींद खुलती है जल्दी वरना उनका समय तय है  " इतना कह 
सुमित्रा जी दूध डाल चाय को उबलने के लिए सीम आँच पर रख देती है  । ।

" सच मे भाभी यकीन नही आता आप सुबह उठने वाली 
, और वो जिसकी सुबह भी सात बजे होती है कैसे जुड गई ये जोडी  " बिनोरी जी सुमित्रा जी के हाथ से चाय का कप लेते हुए  .. 
" बस अब तो नीभ गई  .. "  सुमित्रा जी मुस्काते हुए  । ।

" तुझे तो शुक्र होना चाहिए  जो सुबह सुबह चाय का कप और अखबार मिलता है फ्री मे और तू मेरी पत्नि को भडका रहा है  " कमरे से आते मिश्रा जी बिनोरी जी कि ओर देख बोले  । ।

" अरे भाई हम तो बस ये पूछ रहे थे कि ये जोड कैसे जुडे  " बिनोरी जी सफाई देते हुए अपने बगल मे बैठते मिश्रा जी से  । ।


" इनका मौसा जी ने भिडाए ये जोड कहा था लडका पी डब्लयू डी मे अधिकारी है अकेला लडका है तो हमारे बाबू जी ने हाँ कर दी  " सुमित्रा जी मिश्रा की ओर देख कहती है  । ।


" हाँ तो अकेला छोकरा था शहर मे रहता था कमी थोडी न थी किसी चीज कि  " मिश्रा जी भी अपने जूते के तसमे बाँधते हुए  । ।

" नही बस ये झूठ बोला था कि लड़के के नीचे दस लोग काम करते है अब पता चला कि उन दस लोगो मे ये भी है  " सुमित्रा जी नाक सिकोडते हुए  । ।

" तो भाई अरैंज मैरिज मे तो झूठ चलते ही है  .. " मिश्रा जी हँसते हुऐ  । ।

बिनोरी जी कप रख दीवार पर टंगी घडी को देख " अरे समय हो रहा है चलना नही  " 
" हाँ अब खुद तो चाय पी ली अब मुझे कहेगा वकत हो रहा है  " मिश्रा जी खिसियाते हुए  । ।

" रूकिये मे लाती हूँ चाय  .. " सुमित्रा जी झूठा कप ट्रै मे रख उठाते हुए मुँह फुलाए मिश्रा जी से बोली  । ।
" नही अब आ कर ही पी लूँगा  . . " इतना कह वो निकल जाते है  । ।


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ये तो एक झलक थी मिश्रा और उनकी पत्नी की बाकि के सदस्यो से जल्द मिलेगे  । । अगर कोई गलती हो तो नजर अंदाज करे  । बाकि कहानियो से इसका थोडा अलग राइटिंग पैटर्न है । । 
राधे श्याम

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